बुधवार, 10 मार्च 2010

सोचना बंद करो

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तुम
क्यों सोचते हो
कि जैसा सोचते हो
वैसा हो ही जाएगा
अगर तुम्हारे सोचने से ही
काम चल जाएगा
तो गलतफहमी में हो
धरातल पर आओ
जैसा तुम करना चाहते हो
उसे ठोस प्रयासों का आधार दो
कार्य कोई भी हो
प्रयास मांगता है।
बहुत फासला है विचारों और प्रयासों में
करने और मरने तक का।
महीन धागों से बुने होते हैं
सामंजस्य और समझौते
हर अंतर पर मजबूती मांगते हैं वे
पतंग के मांझे की तरह।
तुम सोचते हो
अपने श्रम, विवेक और आत्मविश्वास से
तोड़ दोगे चट्टान
पर फिर भी
कदम-कदम पर
सामंजस्य व समझौते
कर लेते हो
क्यों सोचते हो तुम कि
जैसा सोचते हो
वैसा सोचने लगे बाकी लोग।
युग दौड़े जा रहा है
समय के साथ
और तुम पैदल ही हो
आश्चर्य है तुम
और तुम्हारी सोच पर।
फिर सोचो और सोचकर देखो
कि क्या वह भी वैसा ही सोचती है
जैसा तुम ...।
तो
सोचना बंद करो
समय सिर्फ करने का है
सोचने वाला हर कोई
अब समझदार नहीं समझा जाता है यहां।
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