सोमवार, 22 मार्च 2010

न्याय

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न्याय खड़ा है आज स्वयं कटघरे में
प्रतीक्षा है पेशियों की
मुकदमा है लम्बा बहुत
और वकील बड़ा महंगा है
डरता है आदमी
न्यायालय द्वार
सुलझने / जुड़ने से पहले
आंतरिक टूटन से डर से
क्यों कि आजकल न्याय
बड़ा मशहूर है
ये आम आदमी से
बहुत दूर है।


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