सोमवार, 8 मार्च 2010

अंगुलियां

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हथेली के साथ
जाने कब से उगी हैं
अंगुलियां ।
अंगुलियां यानी कि
लोकतात्रिक सरकार
कुछ भी कर सकने में सक्षम
कभी अकेली उठती है
तो करती है आरोप
और अंगूठे के साथ मिलकर तर्जनी
लिख देती है कुछ / कभी
तो असम्भव सम्भव और
मुमकिन नामुमकिन हो जाता है
तर्जनी अपनी साअथिन अंगुली से मिलती है
तो हो जाती है 'पक्की'
वही 'पक्की' जो कभी
टूट गयी होती है
छोटी अंगुली की नाराजगी से ।
अंगुलियां कुछ भी कर सकती हैं
हर जगह, हर समय ।
बंधकर तन जाएं अंगुलियां
तो बदल जाते हैं तेवर ।
अंगुलियां करती हैं
फैसला भाग्य का
बदलती हैं नक्षत्रों की दिशाएं
पहनती हैं अंगूठियां
जिसमें सजे रहते हैं
मूंगे मोती नीलम और हीरे।
ये कभी नचाती हैं किसी को
अपने वजूद पर
हर अंगुली पर बांध कर धागा
कठपुतलियों के मानिंद।
कभी अंगुली पकड़कर
रास्ता पाती है पीढ़ी
कभी अंगुली के इशारे से
बन जाता है रास्ता
बुलाती है ये कभी किसी को
तो सम्बन्ध हो जाती है 'अंगुली'।
अंगुलियां डॉक्टर की
दिल को छूती हैं
मास्टर अंगुली से दर्शाता है पंक्तियां
छात्रों को।
लेखक विचारों को आकार देता है
अंगुलियों की मदद से।
जलती सिगरेट का धुंआं
पहुंचता है पेट तक
अंगुलियों के बीच से।
जब चटकती हैं अंगुलियां
तो बदल जाते हैं विचार
महकती हैं अंगुलियां
नाखूनों के साथ / नेल पालिश में
तो कभी चमकती हैं
महंदी की दमक के साथ।
बंद कर लो इन सभी अंगुलियों को
अपनी हथेली के साथ
और दिखा दो
कि हमारी अंगुलियां
कितनी सक्षम हैं।
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