बुधवार, 10 मार्च 2010

तुमसे बात नहीं करूंगा

*********************
दो अंगुलियों के बीच से
सिगरेट का धुंआ
जब तुम्हारे पेट से टकराकर
छल्लों के रूप में
निकलता है
कॉलेज की सड़क पर
हाथों में किताबें लिए
तुम कक्षा की बजाय
कैन्टीन की ओर मुड़ जाते हो
निर्विकार भाव से
बिना किसी उद्देश्य के।
अब कॉलेज जाने से पहले
तुम नहीं छूते पापा के पैर
मम्मी को नहीं बताते हो
कि कब तक लौट आऊंगा
मैं यह सोचता हूं
कि तुम यह सोचने लगे हो आजकल
कि तुम अब बड़े हो गये हो
तुम्हारे दोस्त भी बड़े-बड़े हैं
भावनाओं की दुहाई देते-देते
तुम अब स्वयं भावनाओं से रहित हो गये हो।
मुख्य सड़क पर अपने बड़े दोस्तों के साथ
तुम बजाते हो सीटियां
आ जा रही लड़कियों पर ।
कभी तुम झगड़ते हो
गुत्थम-गुत्था
चिल्लाते हो, जोर-जोर से
देते हो गालियां
देखते हो फिल्में
भाग-भाग कर
कक्षाओं से।
मांगते हो उधार
इधर-उधर से ।
पापा को चाहिए जितने 'पर्सेंटेज' तुमसे
तुम उन्हीं के लिए
ढूंढते हो 'पेपर' / बदहवास
देर रात ठण्ड के दिनों में
घर आने से पहले
गुजरते हो तुम
छोटी अंधेरी गली से
तब भौंकते हैं कुत्ते।
सोचते हैं पापा
बेटा मेरा बड़ा हो रहा है
पर मैं तुमसे अब
बात नहीं करना चाहता
अब तुम दिन-पर-दिन
असामाजिक होते जा रहे हो
और
तुम स्वयं से ही
अनभिज्ञ हो।
सुन लो
मैं अब तुमसे बात नहीं करूंगा।
******************

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें