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उड़ा गुलाल
मदमस्त है मौसम
चली पिचकारी
गली गली।
झूम रहे हैं
फूल पलाश के
इठला रही है
कली-कली
गालों पर
रंगों का आलम
पकड़ वसंत को
रंग डाला,
नीला पीला
रंग लगा है
मतवाला।
चली फागुन की
पुरवाई है
उड़ रहा
हर ओर रंग।
हर एक रंगा है
इस मौसम में
हर कुएं में
पड़ी है भंग।
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