****************************
भावनात्मक रिश्ते
कोमल संवेदी तंतुओं से बने होते हैं।
थोड़े से आवेग में
टूट जाते हैं / छिटक जाते हैं।
आश्चर्य है मुझे भावनाओं पर
और भावनात्मक रिश्तों पर।
ये रिश्ते जो किसी को सम्बल देते हैं
मजबूती देते हैं
ऊर्जा देते हैं
परन्तु स्वयं इतने कमज़ोर होते हैं कि
हवा की हल्की सी बेरुखी
भी सह नहीं पाते ।
भावनाएं मासूम होती हैं इसलिये टूटती हैं
और फिर जुड़ती हैं
इन्हें कुटिलता नहीं आती।
इनके टूट कर
फिर जुड़ने से गांठ नहीं पड़ती
क्योंकि रिश्ते धागे नहीं होते
रिश्ते ऊर्जा होते हैं
विश्वास होते हैं
और वे समेटे होते हैं
आशा भरा एक सुनहरा संसार
इसलिए टूट कर फिर जुड़ने के बाद
रिश्ता फिर पा जाता है ऊर्जा
एक नई स्फूर्त ऊर्जा
फिर कभी न टूटने के लिए
****************************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें