बुधवार, 13 मार्च 2013

फायदा चौदह रुपए का


डा कुंजन आचार्य

अब आप भी सोच रहे होंगे कि अजीब टाइप का आदमी है महज चौदह रुपए के फायदे के पीछे बात का बतंगड बना रहा है लेकिन भई अपन तो संतोषी लाल है। एक रुपए का फायदा हो तो भी जिक्र करना नहीं भूलते। यह फायदा चौदह रुपए का है और यह फायदा दिया है उसने जो हमेशा लाखों के घाटे में रहता है। बात रोडवेज की है। रोडवेज की बस बस में यात्रा करना भी एक शानदार अनुभव होता है। इस अनुभव को अनुभव करने वाले लोग बिरले ही होते है। बसों के हाल कैसे है इसका बेहतर जवाब वही दे सकता हे जो इस शाही सवारी का आनन्दल उठा चुका हो। महंगी यात्रा वाले वाहन बेहतर हालत में कहे जा सकते है। अब कहना तो क्याु है। सब जानते है कि बेहतर की परिभाषा क्याह होती है। अब बात निकली है तो कल की बात बताता हूं। एक रोडवेज बस में सफर का मुहुर्त निकल आया तो टल ना सका। बस इतनी अच्छीे थी कि हार्न के अलावा उसका सब कुछ बज रहा था। वैसे भी हमारे यहां सबके हाल ऐसे ही है जिसको जब बजना होता है तब नहीं बतजा है ओर जिसकों जब नहीं बजना होता है तो वहां बज कर सारा हुलिया बिगाड देता है। ये हमारी फितरत का कसूर है। अपनी फितरत तो कानूनी है। कोई काम कानून के खिलाफ नहीं करना है। नियम से काम करो और आनन्द में रहो लेकिन आप तो जानते ही है कि लोग आपको भ्रष्टय बनाने में कोई कसर नहीं छोडते। हर सम्भ व कोशिश करते है कि कोयले की दलाली में काले हाथों का थोडा रंग दूसरों के गालों पर भी मल दे। अब बात फितरत की हुई तो एक और बात मैं बता ही दूं। हमारे यहां जब भी कभी कोई नियम से चलने का प्रयास या दुससाहस करता है तो उसे रोकने की पूरी कोशिया की जाती है। अब आप सोच रहे होंगे पूरी रामायण में वौरह रुप का जिक्र अभी तक नहीं आया। तो जनाब यात्रा का टिकट लेने के लिए मैंने कंडक्टपर की तरफ सत्तीर रुपए बढाए। उसने मेरा चेहरा देखा और बीस रुपए वापस लौटाते हुए कहा कुल किराया चौंसठ रुपए होता है। मैंने सोचा छुट्टे मांग रहा है तो मैंने चार रुपए के लिए जेब टटोली तब वो मुस्कुाराते हुए बोला रखिए ,रखिए, कोई बात नहीं। यह कह कर वह आगे बढ गया। मुण्‍े भी माजरा समझते देर ना लगी। लाखों का घाआ खाने वाली रोडवेज के मुलाजिम ने मुझे 14 रुपए का फायदा पहुंचा दिया है। मैं भी ठहरा नियमी लाल मैंने कहा भाई साहब मेरा टिकट। तो साहब बोले मैं हूं ना। आगे कुछ होता है तो देख लेंगे। आप तो निश्चकतन्तब होकर बैठिए। मैने भी जयादा कुतर्क करने की जहमत नहीं उठाई। मेरे साथ पांच लो और चढे थे। सभी को चौदह चौदह रुपए का फायदा हुआ। उन सहयात्रियों ने अपने इस ुायदे की सूचना अपनी पत्नियों को दी होगी ओर मैं आपको दे रहा हूं।

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