बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

आपत्तिजनक है अमेरिकी रक्षामन्‍त्री का बयान

-डा कुंजन आचार्य-

चक हेगल वह व्‍यक्ति है जिसे दो दिन पहले अमेरिका का रक्षा मन्‍त्री मनोनीत किया गया है। अमेरिका का रक्षा मन्‍त्री होने का अर्थ है एक थानेदार देश की सबसे ताकतवर सेना का प्रमुख। यह वह व्‍यक्ति है जिसका समझदार होना बेहद जरुरी है। रक्षा मन्‍त्री बनते ही आया उनका बयान उनकी इस समझदारी पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगा गया। साहब कह रहे थे कि भारत द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से पाकिस्‍तान परेशान है। बडा हैरत में डालने वाला बयान है। सरकार ने हालांकि इस पर आपत्ति जताई लेकिन यहां यह समझना होगा कि अमेरिका केवल जुबानी आपत्तियों की भाषा कभी नहीं समझता है। इसके लिए हमारे विदेश मन्‍त्रालय को कडी आपत्ति दर्ज करवानी चाहिए। हमारे यहां पिछले कुछ महीनों से तरह तरह के रंगों के आतंकवाद की चर्चा हो रही है। बडे पदों पर बैठे लोग आतंक को परिभाषित कर रहे है। चर्चा छेड कर बाद में खेदनुमा माफी मांगते भी दिख रहे है। यह एक नया ट्रेंड है। राजनीतिक परिदृश्‍य में इसे सही से देखने और समझने की जरुरत है। हर बयान के अपने अलग अलग मायने है। हेगल साहब की फितरत को मैं जरा बता दूं कि वे ना तो डेमोक्रेटिक पार्टी के है ना रिपब्लिकन पार्टी के। भारतीय भाषा में कहें तो वे निर्दलीय है। भारतीय राजनीति में निर्दलीय बडा रोल निभाते है। सरकारें बनाने है। गिराते है। खरीदा और बेचा भी इन्‍हें ही जाता है। निर्दलीय बडी खतरनाक चीज होती हे। वह कभी भी कुछ भी कह सकता है। कर सकता है। वह देश काल की सीमाओं से परे स्‍वयंभु होता है। अब स्‍वयंभु है तो उसे कौन रोक सकता है। बस तो समझ लीजिए हेगल भी उसी प्रजाति के नए मन्‍त्री है। बात मजाक की नहीं है। इन महोदय के बयान को अंतरराष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में गम्‍भीरता से समझने की जरुरत है। अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना बरसों से बनी हुई है। इसके लिए पाकिस्‍तान पर निर्भरता उसकी मजबूरी है साथ ही दक्षिण एशिया पर नजर रखने के लिए अमेरिका के लिए पास पाकिस्‍तान सबसे बेहतरीन और सुरक्षित जगह है। अपने सामरिक लक्ष्‍यों के लिए अमेरिका बरसों से पाकिस्‍तान को पाल पोस रहा है। बिना शर्त के करोडों डालर की आर्थिक सहायता करता है। नए रक्षा मन्‍त्री और उनके पहले बयान को इसी प्रकाश में देखना होगा कि अमेरिका के तात्‍कालिक स्‍वार्थ क्‍या है और उनको पोषित करने के लिए वह भारत पर कुछ भी आरोप लगा सकता है। आश्‍चर्य तो यह कि सब कुछ जानते समझते हुए हुए भी ओबामा ने इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त नहीं कि वैसे ही जैसे बयान आने के बाद हमारी सरकार भी कुछ विशेष नहीं कह पाई। विपक्षी पार्टी ने जरुर तीखी प्रतिक्रिया रखी। कुल मिला कर सरकार हेगल के बयान को हल्‍के में ना लें। इससे अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर भारत की छवि कमजोर हो सकती है। इसके लिए हमे सख्‍ती और मजबूती से अपनी बात रखनी होगी तथा इस बयान पर खुल कर अपनी आपत्ति दर्ज करवानी होगी।

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