मंगलवार, 19 मार्च 2013

हम तो सदियों से खुश हैं


डा कुंजन आचार्य

जिन को पता नहीं है उनको बता दूं कि आज दुनिया भर में इंटरनेशनल हैप्‍पीनेस डे यानी खुशी का दिन मनाया जा रहा है। इसको देख कर लगता है कि बहुसंख्‍यक दुखी प्राणियों ने मिल कर एक दिन सुख का तय किया है। तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए आज तो मैं खुश रहूंगा ही। दुनिया कि कोई ताकत मुझे आज इस खुशी से वंचित नहीं कर सकती। ये अजीब अजीब दिन बनाने वाले फिरंगी भी अजीब लोग है। अब भला कोई एक दिन ही खुश कैसे रह सकता है। हम तो भई हर हाल में खुश रहते है। हमारी खुशी से तो विदेशी भी जलते है। चाहे कोई प्रलय आ जाए। धरती फट जाए। सिलेंडर घट जाए। पेट्रोल लगातार रुलाता रहे। बम ब्‍लास्‍ट डराता रहे फिर भी हम तो भई ना डरते है ना दुखी होते है। हर हाल में खुश रहना सीख लिया है हमने। ऐसी प्राचीन मान्‍यता है कि भारतीय सर्वगुण प्रतिभा सम्‍पन्‍न होते है। पडौसी की लडकी किसी के साथ भाग जाए तो बहुत खुश होते है। किसी दुकान में चोरी हो जाए तो भी पडौसी दुकान वाला बहुत खुश होता है। किसी के जीमण में दाल कम पड जाए तो तब तो लोग खुश होते ही होते है। हम हर विपरीत परिस्थिति में भी खुशी बटोरना जानते है। वैसे तो हम भारतीय पत्नियों से बहुत दुखी रहते है। मतलब पीडित रहते है फिर भी यही जताते है कि हमसे सुखी और कोई नहीं। एक पडौसी ने दूसरे से पूछा कि आप पति पत्‍नी खूब ठहाके लगाते हो। इसकी गूंज मेरे ड्राइंग रुम तक आती है। कैसे खुश रह लेते हो भई। साहब ने जवाब दिया जब वह बर्तन मुझ पर फैंकती है और यदि निशाने पर लग जाता है तो वह ठहाका लगाती है और यदि निशाना चूक जाती है तो मैं ठहाका लगाता हूं। एक खतरनाक जुमला भी हमारे देश में ही चलता है कि वह खुशी को बर्दाश्‍त नहीं कर पाया और खुशी के मारे पागल हो गया। खुशी के मारे आंसू भी हमारे यहीं निकलते है। चम्‍पकलाल बदहवास से पोस्‍ट आफिस पहुंचे और पोस्‍टमास्‍टर से बोले भाई साहब मेरी पत्‍नी खो गई है, कुछ मदद करो। पोस्‍टमास्‍टर बोला- भैया ये पोस्‍ट आफिस है पुलिस स्‍टेशन नहीं। चम्‍पकलाल बोला साहब खुशी के मारे मुझे पता ही नहीं चल रहा कि कहां जाऊं और कहां नहीं। पराए दुख से दुबला होने की फितरत हमारी नहीं है। हम हर हाल में खुश है। हम इसके लिए किसी दिन के मोहताज नहीं। खुश रहने का रासायनिक समीकरण तो हमारे मन के अन्‍दर है। इसे किसी दिन में नहीं कैद कर सकते।

1 टिप्पणी:

  1. Bhut khoob kaha sir aapne.. Pure saal ki khushi ko ek din main simit nahi kiya ja sakta .. Har koi khush rahne k bahane khojta hai aur kahi mil jaye to jane nahi dena chahta.. Koi kuch paa kar khush hota hai aur koi pane ki aasha main khush hota hai..

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